#लोकतंत्र_का_मुजरा
नेताओं और पैसे वालो के आँगन नाचते हुए मुजरा करने वाले तंत्र को लोकतंत्र कहते हैं।
*भारत देश महान*
वर्सो से समाज देश मे एक कुशल नेतृत्व के अभाव को झेल रही हैं,
यही कारण है कि सभी नए नेताओ में वो संभावनाओं की तलाश कर रही हैं।
नेताओं ने हमेशा से इस बात का फायदा उठाया हैं सत्ता और शाशन की लालसा में हर साल नए नेता राजनीति में आते हैं और जनता की इस भावना का फायदा उठा कर चले जाते हैं।
सभी राजनीतिक दल जनता को सिर्फ इस्तेमाल करो फेक दो के नजरिये से देखती हैं,
आज़ादी के 70सालो बाद भी अगर एक शसक्त लोकतंत्र की स्थापना नही हो पाई तो आगे मझे लोकतंत्र से कोई उम्मीद नही है।
हमारे नेता 70साल पहले भी रोटी , कपड़ा , और मकान के ऊपर वोट मांगते थे और आज भी वही फॉर्मूला चल रहा है।
संसद में विकास के मुद्दे पर बात कम और बकवास ज्यादा होती हैं।
राम मंदिर निर्माण एक सदाबहार मुद्दा बना हुआ है,
आरक्षण और 370 जो कि टेम्परेरी कानून के रूप में आये थे 70 साल औऱ प्रबल हुआ है,
कानून व्यवस्था आपकी कमाई के हिसाब से चलती हैं,
मझे नही लगता कि लोकतंत्र से देश का कभी सम्पूर्ण विकास हो सकता हैं क्योंकि ये जो तंत्र हैं जिसे हम लोकतंत्र बोलते हैं असलियत में ये लोकतंत्र नही हैं,
ये सिर्फ ऐसी वेवस्था है जो सिर्फ नेताओ और पैसे वालो की जागीर बन चुकी है।
ये एक चिंतन का विषय है।
सामवेद सिंह विशेन
09958188210